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लेखनी प्रतियोगिता -04-Jan-2023 जादू की दुनिया

गीत : 
जादू की ये दुनिया है और जादूगर है ऊपरवाला 
कितना कुछ विस्मयकारी है जो उसने रच डाला 

कहीं सफेद चादर ओढकर धरती शोक मनाती है 
कहीं फूलों से सजकर नवेली दुल्हन सी शरमाती है 
कहीं कामनाओं का अनंत मरुस्थल जाये ना संभाला 
कितना कुछ विस्मयकारी है जो उसने रच डाला 

प्रेम घृणा ममता दया का भाव बड़ा अद्भुत है 
माया मोह की नगरी है जिसमें लोभ बहुत है 
मतलब के लिये अपनों ने झट से रंग बदल डाला 
कितना कुछ विस्मयकारी है जो उसने रच डाला 

इश्क की दुनिया बड़ी अजब है जादू जैसी लगती 
जब प्यार किसी को हो जाये तो धरती जन्नत लगती 
प्रेम के रंग ने सब लोगों को अपने रंग में रंग डाला 
कितना कुछ विस्मयकारी है जो उसने रच डाला 

जादू की ये दुनिया है और जादूगर है ऊपरवाला 
कितना कुछ विस्मयकारी है जो उसने रच डाला 

श्री हरि 
4.1.23 


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8 Comments

Gunjan Kamal

05-Jan-2023 08:51 PM

बहुत ही सुन्दर

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Sachin dev

05-Jan-2023 04:00 PM

Superb 👍

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Abhinav ji

05-Jan-2023 08:14 AM

Nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Jan-2023 09:06 AM

धन्यवाद जी

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